|
|
जग की
पालनहार |
|
|
|
|
शेर सवारी कर चलीं, जग की
पालन हार
बाग-बाग के फूल से, मलिया गूँथे हार।
सबको घर-वर दे रहीं, अम्बे मातु सुजान
अपनाती सा हृदय से, अपने शिशू अजान।
रुनक झुनक माँ डोलतीं, साथी लंगुर वीर
करतल ध्वनि करते सभी, सभी चढ़ाते चीर।
अम्बे तेरे द्वार पे, मिटते सभी कलेश
रखवाली करतीं सदा, चिंता नहिं लवलेश
हरे जवारे लहकते, मैया के दरवार
प्रेमी आते दरश को, जुटती भीड़ अपार।
ध्वजा नारियल हाथ ले, ध्यानी ध्यान लगाय
काज सफल सबके करें, सबका हृदय जुड़ाय।
- कल्पना मिश्रा बाजपेई
१५ अक्तूबर २०१५ |
|
|
|