वक्त फिर से आ गया है शक्ति
की आराधना का
राष्ट्रहित की प्रबल होती जा रही शुभ कामना का
मातृशक्ति अखिल जगत में पूजनीया तब बनेगी
जब जगेगा हर हृदय में भाव सच्ची साधना का
छोड़ दें हम जिन्दगी में स्वार्थ की सब कामनाएँ
भूल कर हमसे न कोई कार्य हो दुर्भावना का
शक्तिशाली हम बनेंगे राम का आदर्श लेकर
स्वप्न देखें एक समरस राष्ट्र की नव स्थापना का
दूर करना है तमस हमको दुखी हर जिन्दगी से
हर हृदय में जगमगाए दीप सेवा भावना का
अंकुरण नव शक्ति का नव कोपलों में हो रहा है
उग रहा सूरज नया है शुभ समय माँ वंदना का
हर नगर हर गाँव में नवरात्रि का उत्सव मनाने
जग रहा उत्साह श्रद्धा भाव ले नव चेतना का
- सुरेन्द्र्पाल वैद्य
१५ अक्तूबर २०१५ |