अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अम्मा ने भेजी है पाती

 

 

 
बेटा, पंडित जी कहते हैं
तुझ पर है ग्रह साढ़ेसाती

तेरा शनि है दशम भाव में
चौथे घर में राहु बसा है
जन्म कुण्डली के हिसाब से
कालसर्प की महादशा है
अजब-अजब सपने आते हैं
रात-रात भर नींद न आती।

विध-विधान सब समझाने को
पंण्डितजी फिर कल आएँगे
बेटा, जी छोटा मत करना
सारे संकट टल जाएँगे
बड़ा महातम है जप-तप का
क्या कर लेंगे ग्रह उत्पाती?

तेरी खातिर सब कुछ दूँगी
जो भी देना पड़े दान में
हफ्तेभर की छुट्टी लेकर
बस आ जाना अनुष्ठान में
राजी-खुशी रहे तू बबुआ
ठाकुरजी से रोज मनाती।

जान रहा हूँ मैं, पड़ोस की
चाची ने बहकाया होगा
उल्टी-सीधी बातें कहकर
अम्मा को भरमाया होगा
वरना खेत बेचने को
अम्मा कैसे राजी हो जाती।

- सत्यनारायण
२९ सितंबर २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter