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कौन उबारेगा
तुम बिन |
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कौन उबारेगा तुम बिन
मैं बह जाऊँगा धार में
ना मैया
इस तरह न छोड़ो
मुझको इस मँझधार में
मैं अबोध शिशु हूँ, माँ तुम
वात्सल्य, दुलार न दोगी क्या
मुझसे आँचल हो छुड़ा रही
ऐसी भी भूल हुई है क्या
लो माना भूल हुई मुझसे
अब ये न कहो माँगी न क्षमा
बिन माँगे माँ की ममता भी
क्या नहीं मेरे अधिकार में ?
ना मैया
इस तरह न छोड़ो
मुझको इस मँझधार में
नटखट हूँ
चुप बैठूँ तो सब मुझे कहेंगे बेचारा
बोलो माँ क्या सह लोगी मैं
हूँ माँ के रहते असहारा
लाख पुकारूँ पर
चुटिया खींचे बिन कहाँ सुना तुमने
रूठी हो अब क्यों विस्मृत कर
बचपना मेरे आचार में ?
ना मैया
इस तरह न छोड़ो
मुझको इस मँझधार में
लोटूँगा, जिद है मेरी
कितना उर को रोकोगी माँ
जब उमड़ेगी ममता मन की
आँसू खुद ही पोंछोगी माँ
निर्मम करने की सीमा तक
तुम खूब हृदय निर्मम कर लो
टूटेगा बाँध पसीजोगी
रोऊँगा इस आसार में ?
ना मैया
इस तरह न छोड़ो
मुझको इस मँझधार में
– कृष्ण नन्दन मौर्य
२९ सितंबर २०१४ |
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