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गैस, अँगीठी नहीं थी जब
कागज़ों में दूध निमाया था
अम्मा तुमने रातों जगकर
माँ का फर्ज़ निभाया था।
आँसू कभी न आएँ मेरे
तुमने कितने जतन किये
कितने पल अपनी खुशियों के
मेरी खातिर हवन किये
अम्मा तुमने दिनभर खटकर
खुशियों को बिखराया था।
आँखें बंद करूँ जब भी
ढूँढूँ उस आँचल का कोना
जिसने ताप हरे सारे
जिसमें मेरा चाँदी सोना।
अम्मा तुमने गोदी भर हर
सुख अनुभव करवाया था।
तेरी ममता और मनौती
मुझे यहाँ ले आई है
सीख तेरी अपनाकर ही
मैंने यह दुनिया पाई है।
अम्मा अपनों पर जीवनभर
तेरा ही सरमाया था।
बीते बरसों को फिर जीकर
अम्मा मैंने है ये जाना
देना ही जन्म नहीं होता बस
औरत का माँ हो जाना।
इतनी ममता करुणा से तर
अम्मा तेरा साया था
- भावना सक्सेना
२९ सितंबर २०१४ |