मार्गदर्शक हो माँ तुम ही हो
प्रेरणा
नम्रता में निहित प्रेम की भावना
शुद्धता से भरी नेह की तुम नदी
मात गंगा कहूँ या कहूँ नर्मदा
माँ विधाता तुम्हीं
माँ तुम्हीं प्रार्थना
सर्व उत्तम गुरु तुम ही संसार में
प्राप्त शिक्षा तुम्हीं से मिली शिष्टता
शारदा माँ तुम्हीं
तुम ही हो साधना
पूर्णता का तुम्हीं एक आधार माँ
देवताओं की तुम माँ अलौकिक कथा
तुम हो गौरी तुम्हीं
शिव की आराधना
ज्ञान का दिव्य भण्डार ममतामयी
सत्य निश्छल सरल प्रेम करुणा दया
तुम तो वरदान हो
तुमको क्या आँकना
- अरुण शर्मा अनन्त
२९ सितंबर २०१४ |