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माँ का कद

 

 

 

माँ आसमान नहीं कि
हो जाये इतनी ऊँची कि
उस तक पहुँच ही
न पाये कोई
माँ तो धरती है
धरती की तरह ही
वो फैला देती है
अपना आँचल
और उसका आँचल
हर लेता है
सारा ताप
उसके आँचल की
छाँव में तो
आकाश भी
लेता है पनाह
तभी तो
आकाश से भी
ऊँचा हो उठता है
माँ का कद

- उर्मिला शुक्ल
२९ सितंबर २०१४

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