सख्त चट्टानों-सी
जिंदगी के बीच
झाँकती हुई
नर्म दूब-सी
ठिठुरती काँपती
बेरहम सर्दियों में
कटोरी भर धूप-सी
घने काले
बादलों में से
झाँकती मुस्कुराती
किसी किरण सी
ऐसी ही हो तुम
तुम हो
तो लगता है
जिंदा हैं उम्मीदें
जिंदा है ईश्वर
- सुवर्णा दीक्षित
२९ सितंबर २०१४ |