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रोटी

 

 

 

आसमान के
चकले पर
बादलों के बेलन से
बेली गई
वो रोटी
तपती धुप में पकी
साँझ के झोंकों ने
उसे
फूँककर ठंडा किया
और
चाँदनी की तरह
परोसा मेरे लिए

माँ के हाथों बनी
सौंधी रोटी
सपने में भी
नहीं
भूल पाता मैं।

- रोहित रूसिया
२९ सितंबर २०१४

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