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कुंडलिया |
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सेवा माँ की सुत करे, स्वर्ग
मिले सौगात
दुनिया माँ से है चली, राम कही ये बात
राम कही ये बात, जड़ी जग बूटी माता
कुटिल न आवे लाज, तोड़ते माँ से नाता
कह समोद कविराय, जगत मैं माँ है मेवा
झोली भर लो आज, मात की करके सेवा।
-समोद सिंह चरौरा
मिलता मनचाहा अगर सिर पर माँ का हाथ
बच्चे बनते हैं सबल जो हो माँ का साथ
जो हो माँ का साथ, सामना करते डट कर
पाते हैं संस्कार अहम से रहते बच कर
माँ से पा आशीष प्यार से बचपन खिलता
कहती 'सरिता' मान खुदा भी माँ में मिलता
- सरिता भाटिया
माँ की ममता का नहीं, जग में कोई मोल
फिर भी बेटे बोलते, माँ को कड़वे बोल
माँ को कड़वे बोल, वेदना देते भारी
करते जो ये पाप, तोड़ दें उनसे यारी
माँ है रब का रूप, खोलती जग को झाँकी
मिला न जिनको प्यार, जानते कीमत माँ की
-रघुविन्द्र यादव
२९ सितंबर २०१४ |
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