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माता का
आशीष |
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पाया माँ की गोद में, ममता
का संसार
बडे चैन से सो गया, बचपन पाँव पसार
देखे सपना नींद में, अधर खिली मुस्कान
बच्चे के आनंद में, बसती माँ की जान
तीर्थ किये मंदिर गये, कहाँ झुका ना शीश
बिन माँगे पर मिल गया, माता का आशीष
माँ के जैसा ना मिला, हमदम सच्चा मीत
प्यार रहा अक्षुण्ण ही, हार हुई या जीत
हर मौसम का स्नेह यह, गर्मी, वर्षा शीत
माँ के पल्लू में मिली, प्रीत कवच की भीत
कितना भी सुन लीजिये, मधुर मदिर संगीत
अब तक गूँजें कान में, माँ के लोरी गीत
बच्चे को संताप हो, गायब माँ की भूख
छुप छुप के रोती रहे, नयना जायें सूख
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माँ की ममता मार औ', स्नेह भरी फटकार
जीने का संबल बनी, बचपन की दुत्कार
- ओम प्रकाश नौटियाल
२९ सितंबर २०१४ |
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