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मुक्तक
संकलित |
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हर कठिनाई से लड़ने का साहस
भर देती है माँ।
नापूँ मैं नभ की ऊँचाई ऐसे "पर" देती है माँ।
मैं कमजोर दिया-सा जब भी डरता तेज आँधियों से
मेरे सर पर आशीषों का आँचल कर देती है माँ।
- कमलेश शर्मा
मैं कलाकार हूँ, सारी कलाएँ रखता हूँ
बंद मुट्ठी में आवारा हवाएँ रखता हूँ
क्या बिगाड़ेंगी ज़माने की हवाएँ मेरा
मैं अपने साथ में माँ की दुआएँ रखता हूँ।
खुशी का बोलबाला हो गया है
अँधेरे से उजाला हो गया है
पड़े हैं पाँव जब से माँ के‘जोगी’
मेरा घर भी शिवाला हो गया है।
- सुनील जोगी
न टूटे जो कभी प्यारा वही विश्वास है अम्मा।
सुखद मोहक मनोहर सा मधुर मधुमास है अम्मा।
कड़ी गर धूप है जग तो बड़ी है एक सच्चाई,
जलद ममता जहाँ छाए वही आकाश है अम्मा॥
मेरी आँखों में अश्क आने देती कभी नहीं।
देती है मुझको सिर्फ कुछ भी लेती कभी नहीं।
बच्चों में ही उसकी जान बसती है देखिए सदा,
अम्मा तो हमको बद दुआएँ देती कभी नहीं॥
उसके आगे क्या है केक।
ब्रेड बटर हम देंगे फेंक।
सोते खाकर हम भरपेट,
माँ देती जब रोटी सेक॥
- पीयूष कुमार द्विवेदी पूतू
२९ सितंबर २०१४ |
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