आज शक्ति साधना का
आ रहा क्षण
जन्मभूमि ने भरी हुँकार है
पीछे सेना पुत्रोँ की
तैयार है
बढ़ रहे आगे निरंतर
हर कदम
बिन गँवाये जिन्दगी का
एक भी क्षण
वीर माताओं की है
यह पुण्य भू
दुश्मनोँ का दर्प करती
चूर चूर
हर समय साकार है
माँ युद्ध में
लक्ष्य के संधान का
देती प्रशिक्षण
मां का आँचल है हमारी
यह धरा
किन्तु फैला जा रहा
सब ओर कचरा
आज विनती कर रही माँ निज सुतों से
देह से मेरी मिटा दो
सब प्रदूषण
.
जागने का आ गया है
अब समय
और जड़ से ही मिटा दो
सारे संशय
धन्य हो जाएगा यह
जीवन हमारा
मातृ चरणों पर करें
सर्वस्व अर्पण
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
३० सितंबर २०१३ |