|
|
अम्मा तेरा
नाम |
|
|
|
|
|
दुनिया पर भगवान की, बरसी कृपा अपार।
घर-घर माँ के रूप में, बाँट रहा वह प्यार।।
त्याग, समर्पण ही रहा, जीवन का आधार।
घर, आँगन, संतान ही, है माँ का संसार।।
दुनिया के हर पुरुष को, नारी मिलना भाग्य।
औ हर नारी के लिये, माँ होना सौभाग्य।।
माँ अपनी संतान को, देती नेह समान।
चाहे वो शैतान हो, या हो संत महान।।
जाने कब दिन ढल गया, आ पहुँची फिर रात।
कामकाज में रह गयी, मन में मन की बात।।
चाहे वो पुचकार दें, चाहे दें फटकार।
अम्मा के व्यवहार से, छलके निश्छल प्यार।।
मन में जब भी आ गया, अम्मा तेरा नाम।
ठीक समय पर हो गये, मेरे सारे काम।।
-सुबोध श्रीवास्तव
३० सितंबर २०१३ |
|
|
|