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ध्याइये
अम्बा
(गीतिका) |
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(१)
ध्याइये अम्बा, उमा जगदम्बिका, परमेश्वरी
काटिए दुर्दैवता, दुर्दम्य असित विभावरी
भावना गह शुभ विमल, शुचि चरण रज नित लीजिये
सुमिर पावन नाम पुनि, पुनि पर्व मंगल कीजिये
(२)
मन रहे सानंद माता, तव कृपा यदि संग हो
दुःख दुविधा से तरें अरु निविड़ तिमिर अपंग हो
कर्म शुभ धी शुद्ध चिंतन, विमल, स्वस्थ पुनीत हो
भावना चन्दन सदृश हो ,कामना शिव गीत हो
(३)
व्योम सा विस्तृत ह्रदय अरु, धृति, क्षमा ज्यों मेदिनी
स्निग्ध मृदु शीतल सलिल सम, ज्ञानदा हे! यामिनी
प्राणदा हो अनिल सम तुम, अनल सम तेजस्विनी
प्रकृति कण कण में समाहित, रंजिनी आनन्दिनी
(४)
शुभ दया वात्सल्य करुणा, आपकी सब पर रहे
प्रेम बन पथदीप प्रतिक्षण, आपका घर घर रहे
बस यही आशीष हमको दीजिये माँ सर्वदा
कंठ में सद्भावना के प्रणत स्वर गूँजें सदा
--सीमा अग्रवाल
३० सितंबर २०१३
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