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ममतामयी
विश्वजाल पर माँ को समर्पित कविताओं का संकलन

 

माँ बारह क्षणिकाएँ

१.
आजकल माँ
बहुत बतियाती है
जब भी फोन करो
आस-पड़ोस की भी बातें सुनाती है

२.
न जाने क्यो लगता है
माँ की आँखे नम है
उसे कही न कही
कुछ खो देने का गम है

३.
सुबह सबसे पहले उठ कर
सारा काम निपटाती है
मेरी काम वाली आई कि नही
इसकी चिन्ता लगाती है

४.
कहती है आजकल
पेट खराब है
और मेरी आवाज़ को
हाजमौला बताती है

५.
लगता है अभी आएगी
ले लेगी मुझे गोदी में
और फिर प्यार से
मेरे सर में उँगलियाँ फिराएगी

६.
कई बार
चुप सी रहती है
मुँह से कुछ नही कहती
पर आँखे बहुत कुछ बोलती है

७.
हर रोज
मुझे फोन लगाती है
खाना खाया कि नही
याद दिलाती है

८.
अपनी पीडा के आँसू
पलकों में छुपा कर
मेरी पीड़ा मुझसे उगलवाती है

९.
खुद तो सारी उम्र
न जाने कितना ही त्याग किया
मेरे छोटे से समझौते को
बलिदान बताती है

१०.
आजकल माँ
सपनों में आकर
मुझे लोरी सुनाती है
हर जख्म को सहलाती है

११
सबसे प्यारी
सबसे अलग
ममता की मूर्ति
माँ तुम ऐसी क्यो हो ?

१२.
माँ आजकल
तुम बहुत याद आती हो
जी चाहता है अभी पहुँच जाऊँ
इतना स्नेह क्यों जताती हो ?

- सीमा
१९ मार्च २०१२


 

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