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ममतामयी
विश्वजाल पर माँ को समर्पित कविताओं का संकलन

 

माँ कहती है

हम हर रात
पैर धोकर सोते है
करवट होकर।
छाती पर हाथ बाँधकर
चित्त
हम कभी नहीं सोते।

सोने से पहले
माँ
टुइयाँ के तकिये के नीचे
सरौता रख देती है
बिना नागा।

माँ कहती है
डरावने सपने इससे
डर जाते है।

दिन-भर
फिरकनी-सी खटती
माँ
हमारे सपनों के लिए
कितनी चिन्तित है!

- राजेश जोशी
१९ मार्च २०१२


 

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