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नहीं मिला
नहीं मिला
तेरे पल्लू की खुशबू का पता
फिर नहीं मिला,
सुबह की नींद
उसके कतरों का सुकून
मेरी फिक्र
तेरे जीने मरने का जुनून
नहीं मिला
तेरी हथेली की तपिश का पता
फिर नहीं मिला,
मेरे कोरों की नमी
तेरे अश्रु की धार,
मेरे मन के नील
तेरे व्रत हर शुक्रवार,
नहीं मिला
तेरी संवेदना के संसार का पता
फिर नहीं मिला
--कविता मालवीय
१५ अक्तूबर २०१२
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