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ममतामयी
विश्वजाल पर माँ को समर्पित कविताओं का संकलन

 

घर की दुनिया माँ होती है

घर की दुनिया
माँ होती है
माखन सुख का देने को वह
दु:खों का दही बिलोती है

पूरे अनुभव एक तरफ हैं
मइया के अनुभव
के आगे
जब भी उसके पास गए हम
लगा अँधेरे में
हम जागे

अपने मन की
परती भू पर
शबनम आशा की बोती है
घर की दुनिया माँ होती है

उसके हाथ का रूखा-सूखा-
भी हो जाता
है काजू-सा
कम शब्दों में खुल जाती वह
ज्यों संस्कृति की
हो मंजूषा

हाथ पिता का
खाली हो तो
छिपी पोटली का मोती है
घर की दुनिया माँ होती है

- अवनीश सिंह चौहान
१९ मार्च २०१२


 

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