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सारे जहाँ भर का सुकूं
सारे जहाँ भर का सुकूं मिलता तेरे आँचल में माँ
जब गम सताएँ सैकड़ों, लिपटा तेरे आँचल में माँ
दौड़ी मेरी सुन आह माँ घायल हुआ मैं जब कभी
बाहों में तू ने ले लिया, सिमटा तेरे आँचल में माँ
उँगली पकड़ तेरी चला, बचपन हुआ मेरा जवां
लेकिन अभी तक ढूँढता, ममता तेरे आँचल में माँ
माँ, सिर्फ माँ, मैं ने कहा, जब बोलना आया मुझे
मैं ने झरोखा स्वर्ग का देखा तेरे आँचल में माँ
साथी नहीं कोई मेरा, जाऊँ कहाँ, ढूँढूँ किसे
इच्छा है तेरी गोद की, रहता तेरे आँचल में माँ
गम घेरते हैं अब मुझे, मुझ से सहा जाता नहीं
तू पास होती गर मेरे, सोता तेरे आँचल में माँ
--अर्चना तिवारी
१५ अक्तूबर २०१२
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