अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

ममतामयी
विश्वजाल पर माँ को समर्पित कविताओं का संकलन 

 

 

 

 


सारे जहाँ भर का सुकूं

सारे जहाँ भर का सुकूं मिलता तेरे आँचल में माँ
जब गम सताएँ सैकड़ों, लिपटा तेरे आँचल में माँ

दौड़ी मेरी सुन आह माँ घायल हुआ मैं जब कभी
बाहों में तू ने ले लिया, सिमटा तेरे आँचल में माँ

उँगली पकड़ तेरी चला, बचपन हुआ मेरा जवां
लेकिन अभी तक ढूँढता, ममता तेरे आँचल में माँ

माँ, सिर्फ माँ, मैं ने कहा, जब बोलना आया मुझे
मैं ने झरोखा स्वर्ग का देखा तेरे आँचल में माँ

साथी नहीं कोई मेरा, जाऊँ कहाँ, ढूँढूँ किसे
इच्छा है तेरी गोद की, रहता तेरे आँचल में माँ

गम घेरते हैं अब मुझे, मुझ से सहा जाता नहीं
तू पास होती गर मेरे, सोता तेरे आँचल में माँ

--अर्चना तिवारी
१५ अक्तूबर २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter