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कहाँ से शुरुआत करूँ
माँ!!
कहाँ से शुरुआत करूँ?
लिखने की
तुम पर
तुम तो विषय -वस्तु की
शाश्वत शब्द शृंखला हो,
ममता हो तुम
करुणा हो, दया हो
त्याग, तपस्या और सृजनकर्ता हो,
यहाँ तक की
संसार की समस्त उत्कृष्ट भावनाएँ
तुम मे ही
समाहित हैं
प्रवाहित हैं
विश्राम पाती है श्रद्धा,
तुम्हारे ही चरणों मे,
झरता है आशीष
तुम्हारे वरद हस्त से
और-
अधरों की स्नेह सिक्त स्मित में
तमाम
कलुषित भंगिमाओं को नकारती हुयी
लक्ष लक्ष अनाथों की
सनाथकर्ता
मेरी अकिंचन प्रवंचनाओ को
तुम ही तो
स्वीकारती हो!
--अमित आनंद
१५ अक्तूबर २०१२
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