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          सुन रे सखी

 
सुन सखी रे
है राम वही
जन-जन के नायक

धारे स्कंध कोदंड धनुष
देव अवतरित रूप मनुष
लक्ष्य भेद कर
तरकश के शर
देते निर्णय फलदायक

सुन सखि रे
है राम वही
हर पल सुखदायक

रावण गया छुपा पहचान
सीता उसको पायी न जान
भिक्षुक बन कर
सीता हर कर
बना युगों का खलनायक

सुन सखि रे
हर युग में रावण
पीड़ादायक !!!

- त्रिलोचना कौर तनु
१ अक्टूबर २०२५

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