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         कोदंड सजाए काँधे पर

 
कोदंड सजाए कांधे पर
ले चले संग वानर सेना
हनुमंत सहायक जिनके थे
ऐसे रघुवर जग को खेना

दृढ़ अंगद सुग्रीव निष्ठावान
नल नील केसरी जाम्बवान
गवय गवाक्ष भी थे कमाल
ये योद्धा राम सैन्य की शान
श्री रामचरण में परम भक्त
तन-मन अर्पित कर देना

लक्ष्मण का तीखापन तुर्शी
केवल राम के दुश्मन को
थे रामसिया के परम भक्त
दे चुके निजत्व श्रीचरणों को
उर्मिल को जिसने भुला दिया
बल उनके खड़ी राम सेना

था युद्ध विकट वह घमासान
थे धराशायी अनगिनत नाम
रावन की सेना हो व्याकुल
करती थी त्राहि त्राहि माम
जहाँ सेना राम की स्थिर थी
वहीं असुर उगलते थे फेना

साहस था शक्ति संग निष्ठा
वानर सेना की कर्मठता
लंका जय सम्भव हो पाई
फिर जीत गई थी मानवता
भयमुक्ति का था विजयपर्व
वह अभय आज हमको देना

- इला सिंह
१ अक्टूबर २०२५

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