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साधन कोदण्ड आत्मा राम

 
कोदण्ड था एक यंत्र मात्र
निस्पंद, जड़ और शून्य
राम उस यंत्र का चैतन्य-धाम

आत्मा ने साधन को किया स्पर्श
तब प्रकृति में गति
और गति में सत्य प्रकट हुआ
बाण केवल धातु की नोक न था
वह संकल्प था विवेक का
जो अधर्म के अंधकार को चीर
धर्म की ज्योति जगाता गया

यह शरीर कोदण्ड है
आत्मा हैं राम
दोनों के मिलन में ही
पूरा होता जीवन का पुरुषार्थ
राम के साथ साधन अमर
राम के बिना साधन व्यर्थ

- भावना सक्सेना
१ अक्टूबर २०२५

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