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धन्य धन्य कोदंड
(कुण्डलिया छंद)

 
पुरुषोत्तम श्रीराम का, धनुष हुआ कोदंड
शर निकले जब चाप से, करते रोर प्रचंड
करते रोर प्रचंड, शत्रुदल थर थर काँपे
सुन भीषण टंकार, विकल हो बल को भाँपे
कहे सुधा कर जोरि, कर्म निष्काम नरोत्तम
सर्वशक्तिमय राम, मर्यादा पुरुषोत्तम

अति गर्वित कोदंड है, सज काँधे श्रीराम
हुआ अलौकिक बाँस भी, करता शत्रु तमाम
करता शत्रु तमाम, साथ प्रभु जी का पाया
कर भीषण टंकार, सिंधु का दर्प घटाया
धन्य धन्य कोदंड, धारते जिसे अवधपति
धन्य दण्डकारण्य, सदा से हो गर्वित अति

- सुधा देवरानी
१ अक्टूबर २०२५

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