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कोदंडपाणि राम
(दोहे)

 
कण्व तपोवन में उगा, बाँस बना आधार
सहज गढ़ा कोदंड धनु, लीला अपरम्पार

सरल नहीं है जगत में, वैभव का परित्याग
कोदंड - पाणि राम ने, कर पाया अनुराग

रावण की हठधर्मिता, तानाशाही- राज
मिटा दी कोदंड से, रखी देश-कुल-लाज

जब-जब जग में फैलता, आतंकी प्रचंड
रक्षा करते विश्व की, धारण कर कोदंड

निर्मल-निश्छल प्रेम का, चले पकड़ वे हाथ
दीन-हीन-असहाय पर, करें कृपा रघुनाथ

विनती सबकी राम जी, सहज करें स्वीकार
कोदंड-पाणि थामते, जीवन की पतवार

कोदंड-पाणि राम को, साष्टांग प्रणाम
सिया-राम का नाम ही, बनता शान्ति धाम

सिया-राम पद-कमल से, छिटकी सुख की छाँव
दीप-सुमन की माल से, जगमग सारा गाँव

कण-कण मेरे देश का, जाप राम का नाम
भव-सागर से तारता, जीवन कर अभिराम

- पारुल तोमर
१ अक्टूबर २०२५

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