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त्रेता में कोदंड
(दोहे)

 
गाथाएँ कोदंड की, कैसे करूँ बखान
शौर्य बताए राम का, लेकर रावण प्रान

जुल्म करें ऋषि पर असुर, यज्ञ भंग उद्दंड
उनकी रक्षा के लिये, उठे राम-कोदंड

त्रेता में कोदंड धनु, धार अस्त्र श्री राम
स्वयं बनाया था इसे, मारे शत्रु तमाम

देखी प्रभु कोदंड की, जग ने कौशल शक्ति
तुलसी मानस में रचे, राम कथा धनु भक्ति

होती अत्याचार की, सदा अंत में हार
राम जहाँ होते वहाँ, अरि बाधा हो पार

मंत्रों से मंत्रित धनुष, करे शत्रु संहार
लक्ष्य भेद के लौटता, अपने ही भरतार

सेतु बना के प्रभु चले, लंकापति के पास
अधर्मियों को मार के, धर्म रचे इतिहास

झूठ बुराई की सदा, होती जग में हार
धर्म सत्य की जीत है, यही दशहरा सार

मंच रामलीला सजे, दिखते मूल्य अखंड
तोड़ अहम दशशीश का, पूजनीय कोदंड

- डॉ. मंजु गुप्ता
१ अक्टूबर २०२५

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