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निपुण
कोशलाधीश
(दोहे) |
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विद्या में कोदंड के, निपुण
कोशलाधीश
महावीर के इष्ट वे, हैं सबके वे ईश
राम रसायन पास जो, करो शिला विश्राम
निद्रा आवे चैन की, पूरन हों सब काम
अंधकार अवगुण बड़े, गुण भी एक महान
विचलित कर पैदा करें, सम्मुख कृपा निधान
रूप बदलकर आ ग़या, रावण सबके बीच
तकनीकी हैं शीश दस, जलें न रस्सी खींच
राम अगर ओझल हुए, होगा फिर कोहराम
हदबंदी होगी विफल, बिगड़ें सारे काम
युग युग बदली धात्री, युग युग कृपानिधान
नहीं बदल पाया कभी, मन अपना अभिमान
विजय पर्व ले आ गया, फिर से उनकी याद
हर्षित हो कर कह रहे, सब अपनी फरियाद
- कल्पना मनोरमा
१ अक्टूबर २०२५ |
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