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अन्यायी को दंड दो
(दोहे) |
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अन्यायी को दण्ड दो,
कोदण्डपाणि आज
भितरघातियों से बने, मुक्त देश फिर आज
कट के फिर से उग रहे, दशाननों के माथ
हो अब नष्ट समूल फिर, इनके श्री रघुनाथ
भंग धनुष कर के दिया, संदेह को विराम
पुन: प्रदर्शन शक्ति का, ऐसा ही हो राम
आर्यभूमि हो फिर नहीं, और कलंकित आर्य
सीख मिले अरि को बड़ी, अब कोई अनिवार्य
शार्ड्गंपाणि श्रीकृष्ण हैं, कोदण्डपाणि राम
सिद्ध किया अवतार हर, हे युगपुरुष प्रणाम
- आकुल
१ अक्टूबर २०२५ |
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