नेता
हमें बता दे
(ऐ दिल हमें बता दे : पैरोडी)
नेता हमें बता दें तू क्यों सता रहा है
भाला है फिर भी खुद को,
भोला बता रहा है
जनता के पास जाना अब तू संभल संभल के
शायद ये भाग्य जागे फिर दल बदल बदल के
दल–लल्ला दल–लल्ला दल–लल्ला दल–लल्ला
क्यों जाति का ज़हर तू जल में मिला रहा है
कुल नाश करके कुल का क्यों कुलबुला रहा है
नेता हमें बता दे तू क्यों सता रहा है
भाला है फिर भी खुद को,
भोला बता रहा है।
पूरा सना हुआ है रिश्वत की कीच में तू
लेकिन बड़े सुनहरी नारों के बीच में तू
पल–लल्ला पल–लल्ला पल–लल्ला पल–लल्ला
वादों की वादियों में तू क्यों झुला रहा है
बेवक्त की लोरियों से तू क्यों सुना रहा है
नेता हमें बता दे तू क्यों सता रहा है
भाला है फिर भी खुद को,
भोला बता रहा है।
अब तू नहीं सुहाए जब बार–बार आए
जनता सुकून पाए गर तू कहीं भी जाए
चल–लल्ला चल– लल् ला चल– लल् ला चल– लल् ला
झूठी कहानियाँ फिर तू क्यों सुना रहा है
जनता की भावनाएँ तू क्यों भूना रहा है
नेता हमें बता दे तू क्यों सता रहा है
भाला है फिर भी खुद को,
भोला बता रहा है।
सीमा पे जा के तू लड़ जो युद्ध है गंवारा
होगा शहीद जब तू होगा तभी हमारा
भल–लल्ला भल–ल ल्ला भल–ल ल्ला भल–ल ल्ला
निस्वार्थ सेवियों को जन मन बुला रहा है
इन भ्रष्ट पापियों से वो बिलबिला रहा है
नेता हमें बता दें तू क्यों सता रहा है
भाला है फिर भी खुद को,
भोला बता रहा है।
—बागेश्री चक्रधर |