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ज्योति पर्व
संकलन

 

क्षणिकाएँ

दिवाली (चार क्षणिकाएँ)

1
आज दिवाली
पुलकित मन घोर
जले दिया संग बाती
उजियारा घर मंदिर चहुँ ओर

2

आज दीवाली
लक्ष्मी का शृंगार
धूप दीप नैवेद्य संग
लाई मिठाई की भरमार।

3
आज दीवाली
अंधकार पर छाई
लाई प्रकाश की लाली
दीपमाला के साथ।

4
जलाकर दीप
अंधेरा मिटा दो
अमावस की रात को
जगमग सजा दो।

-बृजेश कुमार शुक्ल

खुशी! खुशी!

बाल बाल बच गया
लगता था आगे अँधेरा है
प्रकाश जल्दी नहीं होगा
मगर
झबकारा हो गया
खुशी! खुशी!

- अश्विन गांधी

रूप

सफ़ेद खादी में
लक्ष्मी का रंग काला
उनकी दीवाली में
देश का दीवाला


नेता

देश के लिए
भारी है
इच्छाधारी है

 

नसीब

डेयरी के मज़दूर का
कैस नसीब है
पाँचों उँगलियाँ
घी में
फिर भी गरीब है।

 

किस्मत

दीवाली में
फाकाकशी का
दौर चल रहा है
दिया किस्मत वाला है
जो घी से
जल रहा है

-पीयूष पाचक

  

 

 

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