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शाम

माँ देखो, आई है शाम
घर लौटे सब करके काम
सूरज अपने गाँव गया
लौटी दाना लिये बया

--त्रिलोक सिंह ठकुरेला

 

चार दिशाएँ

उगता सूरज जिधर सामने
उधर खड़े हो मुँह करके तुम
ठीक सामने पूरब होता
और पीठ पीछे है पश्चिम

बायीं और दिशा उत्तर की
दायीं और तुम्हारे दक्षिण
चार दिशाएँ होती हैं यों
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण

— अज्ञात

 


सो जाएँ

पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण
फैली चार दिशाएँ
बीच में फैला नीला अम्बर
चलती वहाँ हवाएँ

रात हुई अब हम भी दोनों
साथ साथ सो जाएँ
अँखियाँ मींचें चादर ओढें
सपनों में खो जाएँ

-शशि पाधा

 

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