कोयल और कौवा
कौवा कोयल के घर
पहुँचा
मुझे सीखा दो गाना
जिससे बात-बात पर दुनिया
मुझे न मारे ताना
कोयल बोली- करो न चिंता
दुनिया से क्या डरना
दुनिया अपना काम करेगी
हमको अपना करना
-सीताराम गुप्त
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नानी और कौवा
नानी जी छत पर जा बैठी
गुस्से में थीं कुछ-कुछ ऐंठी
काला कौआ दौड़ा आया
नानी जी को खूब छकाया
-शैल अग्रवाल
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काला कौवा
काला कौवा काँ काँ काँ
उड़ता फिरता यहाँ वहाँ
आता जाता सबके घर
इसको नहीं किसी का डर
-अश्विन गांधी
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