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  तितली और सुगंध

 तितली बोली चलो चलें
फूलों से खुशबू ले लें
महकाएँ इस जग कर रंग
कुछ तो अच्छा काम करें


फूलों ने सुंगध दे दी
लेकर तितली दूर चली
बगिया महकी रंग भरी
खुशबू फैली गली गली

-पूर्णिमा वर्मन

 

 

तितली रानी

तितली रानी तितली रानी
कौन देश से आई हो ।

रंग- बिरंगे सुन्दर कपड़े
किस दूकान से लाई हो ?

फूल-फूल पर घूमा करती
सबके मन को भाई हो।

-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

तितली

दूर देश से आई तितली
चंचल पंख हिलाती।
फूल-फूल पर कली-कली पर
इतराती इठलाती।

यह सुन्दर फूलों की रानी
धुन की मस्त दिवानी,
हरे भरे उपवन में आई
करने को मनमानी।

कितने सुन्दर पर है इसके
जग मग रंग रंगीले,
लाल हरे बैजनी वसन्ती
काले नीले पीले।

कहां - कहां से फूलों के रंग
चुरा चुरा कर लाई
आते ही इसने उपवन में
कैसी धूम मचाई।

डाल-डाल पर पात-पात पर
यह उड़ती फिरती है,
कभी खूब ऊँची चढ़ जाती
फिर नीचे गिरती है।

कभी फूल के रस पराग पर
रूक कर जी बहलाती,
कभी कली पर बैठ, न जाने
गुप चुप क्या कह जाती।

- निरंकार देव सेवक

तितली आई

तितली आई तितली आई
रंग-बिरंगी तितली आई

कितने सुन्दर पंख तुम्हारे
आँखों को लगते हैं प्यारे

फूलों पर ख़ुश हो मँडलाती
अपनी धुन में हो इठलाती

जब आती बरसात सुहानी
पुरवा चलती है मस्तानी

तब तुम अपनी चाल दिखाती 
लहरा कर उड़ती बलखाती

पर जल्दी ही थक जाती हो
दीवारों पर सुस्ताती हो

बच्चों के मन को भाती हो
इसीलिए पकड़ी जाती हो

-रुपचंद्र शास्त्री मयंक

 

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