जो सोचोगे वही बनोगे
ऐसा हुनर कहाँ से लाऊँ,
जो मैं सोचूँ वह बन जाऊँ
ऐसा मैं कुछ क्या कर जाऊँ
जो मैं सोचूँ वह बन जाऊँ
जो सोचोगे वही बनोगे,
जब तुम मेहनत कड़ी करोगे
दूर दृष्टि और दृढ़ विश्वास
ले जाता मंजिल के पास
--प्रभु दयाल
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फूलों जैसे
फूलों जैसे उठो खाट से
बछड़ों जैसी भरो कुलाचें
अलसाये मत रहो कभी भी
थिरको ऐसे जग भी नाचे
नेक भावना रखो हमेशा
जियो कि जैसे चन्दा तारे
ऐसे रहो कि तुम सब के हो
और सभी है सगे तुम्हारे
फूलो फलो गाछ हो जैसे
बोलो बहता नीर
काँटे बनकर मत जीना तुम
हरो परायी पीर
कहना जो है सो तुम कहना
संकट से भी मत घबराना
उजियारे के लिये सलोने
ज्ञान-ज्योति का दीप जलाना
मत पड़ना तुम हेर फेर में
जीना जीवन सादा प्यारा
दीप सत्य है एक शस्त्र है
होगा तब हीरक उजियारा
- क्षेत्रपाल शर्मा |
मुनिया की कविता
मुनिया ने लिख डाली कविता,
सुंदर बड़ी निराली कविता
वाह वाह कितनी प्यारी
मन को हरनेवाली कविता
उसने इठला इठला कर
दादी से कह डाली कविता
दादाजी ने पूछा तो
झटपट कहीं छुपा ली कविता
-प्रभु दयाल
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