होली
है
!!

 

होली के दोहे


रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल
वृंदावन होली हुआ सखियाँ रचें धमाल

होली राधा श्याम की और न होली कोय
जो मन रांचे श्याम रंग, रंग चढ़े ना कोय

नंदग्राम की भीड़ में गुमे नंद के लाल
सारी माया एक है क्या मोहन क्या ग्वाल

आसमान टेसू हुआ धरती सब पुखराज
मन सारा केसर हुआ तन सारा ऋतुराज

बार बार का टोंकना बार बार मनुहार
धूम धुलेंडी गाँव भर आँगन भर त्योहार

फागुन बैठा देहरी कोठे चढ़ा गुलाल
होली टप्पा दादरा चैती सब चौपाल

सरसों पीली चूनरी उड़ी़ हवा के संग
नई धूप में खुल रहे मन के बाजूबंद

महानगर की व्यस्तता मौसम घोले भंग
इक दिन की आवारगी छुट्टी होली रंग

अंजुरी में भरपूर हों सदा रूप रस गंध
जीवन में अठखेलियाँ करता रहे बसंत

पूर्णिमा वर्मन
१६ मार्च २००३

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