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राधा नाचें कृष्ण नाचें, नाचें गोपी
जन!
मन मेरा बन गया सखी री, सुंदर वृंदावन!
श्याम साँवरे, राधा गोरी, जैसे बादल बिजली!
जोड़ी जुगल लिए गोपी दल, कुंज गलिन से निकली,
खड़े कदम्ब की छाँह, बाँह में बाँह भरे मोहन!
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन!
वही द्वारिकाधीश सखी री, वही नन्द के नंदन!
एक हाथ में मुरली सोहे, दूजे चक्र सुदर्शन!
कान्हा की नन्ही ऊँगली पर नाचे गोवर्धन!
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन!
जमुना जल में लहरें नाचें, लहरों पर शशि छाया!
मुरली पर अंगुलियाँ नाचें, उँगलियों पर माया!
नाचें गैय्याँ, छम-छम छैय्याँ, नाच रहा मधु-बन!
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन!
मन मेरा बन गया सखी री, सुंदर वृंदावन!
--पं. नरेन्द्र शर्मा
१ मार्च २०१० |