होली के रंग छाएँगे
कोई न हो उदास
मौसम ही सब समाएँगे
कोई न हो उदास
नदियाँ ही रंग लाई हैं
तितली के पँखों से
ध्वनियाँ मधुर सुनाई दें
पूजा के शँखो से
पँछी भी चहचहाएँगे
आ जाएँ आस पास
होली के रंग छाएँगे
कोई न हो उदास
पुरवाईयो ने बाग बाग
पात झराए
बागो से उड़ी खुशबूओं ने
भँबरे बुलाए
अमिया हुई सुनहरी
मौसम का है अंदाज
बोली के ढँग आएँगे
कोई न हो उदास
होली के रंग छाँएँगे
कोई न हो उदास ।
-कमलेश कुमार दीवान
१ मार्च २०१० |