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होली है!!

 

आई होली आई रे


उड़ता रंग, अबीर, गुलाल
छूटी पिचकारी से धार
ख़ुशियां हर चेहरे पर छाईं
आई होली आई रे...

घरवाला, घरवाली नाचे
जीजा के संग साली नाचे
नाच रही बच्चों की टोली
जैसे कृष्ण कन्हाई
आई होली आई रे...

ढोल-मृदंग-चंग जब बजते
स्वप्न सलोने नयन में सजते
कोरी आँखों की फागुन ने
मीठी नींद चुराई
आई होली आई रे...

छेड़छाड़-तकरार का मौसम
होली तो है प्यार का मौसम
क़हर ढा गई दिल पर कितने
इक मादक अँगड़ाई
आई होली आई रे...

--देवमणि पांडे
१ मार्च २०१०

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