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रंग उत्सव |
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आओ हम सब फागुन गाएँ
ओ भाई ऐसे रंग लगाएँ
दरक न पाए प्रीत परस्पर
ऐसा मन का मीत मिले
हारे नहीं समय के संग संग
सबको ऐसी जीत मिले
दुःख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको अपनाएँ
आओ हम सब फागुन गाएँ
ओ भाई, ऐसे रंग लगाएँ
नए सृजन का समय आज है
कल्पनाओं का नव प्रभास है
रंग नए हैं नव आशाएँ
नव विचार हैं, नव आभाएँ
नए समय में नव आलोड़न
हम सबमें आ पाएँ
आओ हम सब फागुन गाएँ
ओ भाई, ऐसे रंग लगाएँ
- कमलेश कुमार दीवान
१ मार्च २०२४ |
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