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    होलिका

प्राप्त था वरदान
लेकिन
होलिका फिर भी जली

सत्य-पथ होता अभय है
मृत्यु सम्मुख भी विजय है
शक्तियाँ विद्धवंस चाहें
सृजन की हर ओर जय है
लाख उत्सव
शत्रु कर ले
आस्था फिर भी फली

देह, मन, वाणी सुशासित
चेतना जिसकी प्रकाशित
हिरण्यकश्यप की कुचालें
कर न पातीं पंथ-बाधित
लाख बलशाली
अहम् हो
मृत्यु फिर भी कब टली

- भावना तिवारी
१ मार्च २०२४
   

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