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      रंग फागुनी

रंग फागुनी को लिये, नाच रहा त्यौहार
टेसू सेमल हैं खिले, फूली है कचनार

ऋतु वसंत के द्वार पर, झूम रहा है फाग
महुआ उन्मादित हुआ, छेड़े मादक राग

मन की बगिया है खिली, राधा घोले रंग
श्याम भिगोए प्रीत को, प्रेम खुशी के संग

जली होलिका झूठ की, सत्य धर्म की जीत
क्रांति करी प्रह्लाद ने, करी ईश से प्रीत

अनेकता में एकता, होली का त्यौहार
ऊँच -नीच को भूलकर, जुड़े दिलों के तार

तीन रंग मैं भेजती, सरहद खड़े जवान
जिंदा तुम से है सदा, अपना हिंदुस्तान

होली पर मिलजुल सभी, खेल रंग के खेल
अमन देश में फिर करें, चले प्रेम की रेल

युग - युग से है सत्य को, कहता होली पर्व
छल अधर्म की होलिका, जली बुराई सर्व

- डॉ मंजु गुप्ता
१ मार्च २०२४
   

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