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दोहे मधुमास के |
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वीणावादन अलि करें, आया देख
वसंत
सुमन लिये तरुवृन्द हैं, मन में हर्ष अनंत
क्षिति पर यों सौन्दर्य को, ले आया मधुमास
ज्ञानोदय से हो रहा, मानो हृदय उजास
तरुओं पर नव पुष्पदल, और आम्र पर बौर
ठाठ अलग ऋतुराज के, करूँ न कैसे गौर
स्वागत में ऋतुराज के, उत्सव हुआ महान
पर्णदलों की ताल पर, कोयल- केकी गान
कृषकों के श्रमबीज की, फलीभूत हो चाह
पकीं खेत
की बालियाँ, बढ़ा रही
उत्साह
उऋण करे ऋतुराज अब, दिखा स्वयं की शान
भूमिपुत्र को
कर रहा,
मानो अब धनवान
भँवरे बौराऐ हुए, कलियों का कर पान
कोयल बैठी डाल पर, छेड़ रही सुर तान
आँखमिचौली कर रहे, कुदरत के व्यवहार
व्यग्र हृदय के भाव में, वासंती झंकार
- अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
१ मार्च २०२४ |
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