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       मुट्ठी में रंग

फागुन के घर आज सभी को आना हैं
मुट्ठी में रंग लाल छुपाकर जाना है

राग बसंती गाए बौराई अमिया
रंग गुलाबी गालों पर बिखराना है

पवन हिलाये पीली सरसों के झुमके
चैत महीने का मौसम मस्ताना है

लाल गुलाल, अबीर, भंग की टोली में
हमको भी तो धुत्त नशे में जाना है

चूनर चोली पहने होली सतरंगी
चुटकी भर सिन्दूर तुम्हें संग लाना हैं

- त्रिलोचना कौर
१ मार्च २०२४
   

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