अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

   
 

      
        होली का त्योहार मनाएँ

बच्चों का कोलाहल छाए
धरा चुनर रंगों की लाए
ढोल मजीरा चंग थाप में
मन मयूर नटखट हो जाए 
होली का
त्योहार मनाएँ

 
पिचकारी संग कटुता भूलें 
टोली के संग नभ को छू लें 
पौराणिक आख्यान सुना कर
मन में अच्छाई को घोलें
खुशबू पकवानों की आए
खुशियों की सौगातें लाए
संग अबीर गुलाल उड़ाएँ 
होली का
त्योहार मनाएँ

 
रंगों की दीवार मिटाएँ
रंगों का त्यौहार मनाएँ
रंगों का विज्ञान बताएँ
गीत मल्हार संग में गाएँ
हर कुंठा को दूर भगाएँ 
दूषित वातावरण हटाएँ 
होली का
त्योहार मनाएँ

हँसी ठिठोली रस की बोली
मन की खुशियों ने मिल घोली
लाल हरे पीले रंगों संग 
होली में मैं पी की हो ली
साम्य एकता को अपनाकर 
फागुन का शृंगार सजाएँ
होली का
त्योहार मनाएँ

- डॉ उषा गोस्वामी
१ मार्च २०२३

   

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter