रंग रंगीली हुरियारों की
टोली
हो गई
इसी रंग में पगी
बावरी होली
हो गई
कजरारी आँखें
टेसू में डूबी डूबी
और सुनहरी धूप अलक में भर महबूबी
बातों बातों में सबकी हमजोली हो गई
और रंग में पगी
बावरी होली
हो गई
गली गली में छैल छबीली चले सयानी
हवा हवा पर लिखे रोज इक नयी कहानी
फूल फूल से सजी दुल्हन की डोली हो गई
लाल रंग में पगी
बावरी होली
हो गई
आगे आगे चले अकेली बढती जाए
पीछे पीछे और भीड़ भी लगती जाए
ऐसी चढ़ी उमंग भंग की गोली हो गई
भंग रंग में पगी
बावरी होली
हो गई
रास रंग में निपुण ताक धिन करती जाती
रसिया और जोगिरा सब पर खूब लुटाती
चंदन उसके हाथ माथ पर रोली हो गई
रोली चंदन पगी
बावरी होली
हो गई
रूप रूप भर खिली सभी
बगियो की क्यारी
गंध गंध में डूब रही है दुनिया सारी
दिशा दिशा में बँधी रंग की झोली हो गई
झोली बिखरी और
बावरी होली हो गई
- पूर्णिमा वर्मन
१ मार्च २०२३ |