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        रंग का त्यौहार

मधुमास में आ गया
रंग का त्यौहार

टेसू का एक जंगल जैसे कि जल रहा
मंगल ही मंगल अमराई में चल रहा
आया सब पर्वों में
ढंग का त्यौहार

रंगों के फुग्गे- रंगों की पिचकारियाँ
जिंदगी की ज्यों मिट गईं हैं दुश्वारियाँ
अबीर से लिपे पुते
अंग का त्यौहार

महुए की गंध से मौसम है झूम रहा
नशे में जैसे सारा आलम घूम रहा
लगता फगुआरों को
भंग का त्यौहार

चूनर पीली सरसों ने खेत में ओढ़ी
छेड़ रही मेड़, दूब और हवा निगोड़ी
छा गया झांझ औ
चंग का त्यौहार

- अविनाश ब्यौहार
१ मार्च २०२३
   

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