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रंग डाला ससुराल में,
पहली-पहली बार
एक शिकारी हो गया, ऐसे वहाँ शिकार
धोया-कूटा, रंग दिया, और दिया एहसास
हम ही खासम-खास है, साला-साली-सास
मुझे बुला ससुराल में, गोली में दी भंग
याद मुझे रहते सदा, वो होली वो रंग
साली ने ली बाल्टी, साला डाले रंग
गुब्बारे-पिचकारियाँ, धरे रह गये ढंग
घरवाली ने कर दिया, अजब-गजब इज़हार
बिन रंगों के रंग दिया, मेरा घर संसार
- सुरेन्द्र कुमार शर्मा
१ मार्च २०२३ |