अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

   
 

      
      रंगों के संसार में

रंगों के संसार में आओ तो इक बार
ये 'बसुधैव कुटुम्बकम' की सुषमा का सार

लठामार होली मधुर ब्रज वृंदावन धाम
बरसाने की राधिका नंदगाम के श्याम

राग रास रसिया मुखर बंसीवट अभिराम
फगुनाये रंग सोहते रंगों में सुखधाम

रंगों के व्यवहार में सुख सौहार्द अपार
मंगलमय हो सर्वजन रंगों का त्योहार

कुंज गली मथुरा मधुर फूलों की बौछार
होरी खेलै साँवरा टेसू प्यार दुलार

गिरि गोवर्धन पूज्य हैं परिक्रमा संवाद
होरी, हुरियारे करें फूलों से आबाद

होरी बरजोरी करे गोप ग्वालिनी संग
पिचकारी टेसू सुखद रंग रंग के रंग

फूलों की होली मधुर खेल सके तो खेल
सकल सुमंगल फूल हैं नाहिं अमंगल मेल

- राकेश मधुर
१ मार्च २०२३

   

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter