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      रंगों के संसार में

होली का उत्सव आ गया बरसे रंग ग़ुलाल
अबके रंग ऐसा लगे हटे न सालों साल

होली नव उल्लास है प्रेम रंग है श्वास
वृंदावन में छा रहा कृष्ण रंग मधुमास

घर घर गुजिया बन रही मीठी सोंधी गंध
रंगपाशी की रात में पी ली साजन भंग

टेसू टेसू खिल रहे खिले बासंती रंग
महुआ नीचे रंग गए मोहन राधा संग

चौराहो पर जल रही होली पहन विचार
सच्चाई के सामने नफरत चले न यार

बैर भाव को भूलकर रहो प्रेम से संग
होली आकर कह रही खूब चले हुडदंग

- मंजुल भटनागर
१ मार्च २०२३

   

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